सात्विक भोजन
सात्विक फ़ूड आप सभी मुम्बई निवासियों के लिए लेकर आये है शुद्ध व् स्वादिष्ट भोजन।
सात्विक फूड अपने ग्राहकों के लिए भोजन बनाते समय प्राचीन विधि द्वारा दिशाओं का भी ध्यान रख रहा है। यहाँ पर बना भोजन भगवान श्री जगन्नाथ जी का प्रसाद है जिसका सेवन करने आरोग्य की प्राप्ति होती है। प्राचीन भारतीय सभ्यता के द्वारा आग्नेय दिशा में बना हुआ भोजन स्वास्थ्य के लिए लाभकारक होता है
आपको भोजन से संबंधित कुछ शास्त्रसम्मत नियमों की जानकारी प्रदान करते हैं-
-भगवान को अर्पित किए बिना भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-गौ ग्रास (गाय का भाग) निकाले बिना भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-बिना स्नान किए, केवल एक वस्त्र में, जूते पहने हुए, चलते-फिरते भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-केशों से युक्त (जिसमें बाल गिरा हुआ हो), कीट से युक्त (जिसमें मक्खी, कीड़ा इत्यादि गिर गया हो) ऐसा भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-दुर्भावना से प्रेरित, अनादर से परोसा गया, व बासी भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-बिना स्नान किए, क्रोध से, आलस्य से, कामातुर होकर पकाया गया भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-किसी के लिए घोषित अन्न एवं विद्वानों द्वारा निन्दित भोजन को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-स्वस्थ होते हुए भी बाएं हाथ से परोसा हुआ, पैर से स्पर्श किया हुआ, क्रोध में परोसा हुआ, सूतक एवं श्राद्ध का भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-मुख से फूंक मारकर ठंडा किया हुआ भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-मांस-मदिरा विकेता,शस्त्र-विक्रेता,चोर,गणिका,धूर्त,मिथ्याभाषी,वधिक,कुत्ता पालने वाले का,चुगली एवं बुराई करने वाले का एवं शत्रु का भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-मल, मूत्र व काम का आवेग होने पर भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
-अभक्ष्य (मांस) को भोजन के रूप में कदापि ग्रहण नहीं करना चाहिए।
SATVIK FOOD
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